श्रीमद् भागवत गीता के महान विचार
क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। ~ भगवान श्री कृष्ण
किसी दूसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से अच्छा हैं की हम अपने स्वंय के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें। ~ भगवान श्री कृष्ण
- जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है। ~ भगवान श्री कृष्ण
मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है। ~ भगवान श्री कृष्ण
आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो. अनुशाषित रहो. उठो। ~ भगवान श्री कृष्ण
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है.जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है। ~ भगवान श्री कृष्ण
नर्क के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध और लालच। ~ भगवान श्री कृष्ण
मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है। ~ भगवान श्री कृष्ण
प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं। ~ भगवान श्री कृष्ण
व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे। ~ भगवान श्री कृष्ण
जो भी मनुष्य अपने जीवन अध्यात्मिक ज्ञान के चरणो के लिए दृढ़ संकल्पो मे स्थिर हैं, वह समान्य रूप से संकटो के आक्रमण को सहन कर सकते हैं. और निश्चित रूप से यह व्यक्ति खुशियाँ और मुक्ति पाने के पात्र हैं। ~ भगवान श्री कृष्ण
ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए। ~ भगवान श्री कृष्ण
हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है। ~ भगवान श्री कृष्ण
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Om Namo Bhagwate Vasudevay: Namah:
Jai shree Krishna
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा
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