श्रीमद् भागवत गीता के महान विचार - 4

वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और “मैं” और “मेरा” की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांती प्राप्त होती है। ~ भगवान श्री कृष्ण

मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय. किन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वो मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूँ। ~ भगवान श्री कृष्ण

जो इस लोक में अपने काम की सफलता की कामना रखते हैं वे देवताओं का पूजन  करें। ~ भगवान श्री कृष्ण

बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवित्तियों से जुड़े हुए हैं, और जिनकी बुद्धि माया ने हर ली है वो मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते। ~ भगवान श्री कृष्ण

हे अर्जुन!, मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ, किन्तु वास्तविकता में कोई मुझे नहीं जानता। ~ भगवान श्री कृष्ण

स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन:  एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ। ~ भगवान श्री कृष्ण

ऐसा कुछ भी नहीं, चेतन या अचेतन, जो मेरे बिना अस्तित्व मे  ह सकता हो। ~ भगवान श्री कृष्ण

स्वार्थ से भरा कार्य इस दुनिया को क़ैद मे रख देगा. अपने जीवन मे स्वार्थ को दूर रखे, बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के। ~ भगवान श्री कृष्ण

ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में  है ना ही कहीं और। ~ भगवान श्री कृष्ण

अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है। ~ भगवान श्री कृष्ण

इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा.जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता। ~ भगवान श्री कृष्ण

अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं। ~ भगवान श्री कृष्ण

मेरी कृपा से कोई  सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी बस मेरी शरण में आकर अनंत अविनाशी निवास को प्राप्त करता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता। ~ भगवान श्री कृष्ण



|| जय श्री कृष्णा ||



 

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